रीतेश रंजन, आईआईएन/चेन्नई, @Royret
तमिलनाडु में डीएमके के नेतृत्व में गठित डेमोक्रेटिक सेकुलर फ्रंट डीसीएफ द्वारा 2 फरवरी को नागरिकता अधिनियम के खिलाफ सिग्नेचर कैंपेन शुरू किया गया। डीसीएफ के सभी सदस्यों ने इसमें बढ—चढ कर हिस्सा लिया।
शुक्रवार को भी राज्य भर में यह अभियान जारी रहा। डीसीएफ की के सभी सहयोगी पार्टी एमडीएमके, वीसीके, कांग्रेस, लेफ्ट व अन्य पार्टियों ने इस अभियान के तहत लोगों से हस्ताक्षर लिया गया जिसमें वे लोग सीएए, एनआरसी और एनपीआर का विरोध कर रहे हैं।
डीएमके और उसकी सहयोगी दल यह मानती है कि सीएए संविधान के मुल्यों के खिलाफ नहीं है। वहीं उनका यह भी कहना है कि तमिलनाडु सुनामी, बाढ, वर्धा, जैसे कई प्राकृतिक आपदाओं को झेल उनसे उबरने की कोशिस कर रहा है।
जिन लोगों ने इन अपादाओं में अपना घर—बार सबकुछ खो दिया उनके पास अगर उनकी नागरिकता को साबित करने के लिए जन्म प्रमाणपत्र या अन्य दस्तावेज मांगे जाय तो इससे ज्यादा जादती इनके साथ और क्या होगी। जहां एक तरफ इनके साथ प्रकृति ने जादती की तो दूसरी ओर सरकार बजाय मरहम लगाने के उन घावों को ताजा करने पर उतारु है।
इस अभियान में डीएमके प्रमुख एम के स्टालिन स्वयं जुड़े रहे हैं। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र कोलातूर से इस हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत की।
इसके बाद चेन्नई व उसके आसपास के इलाकों में घूम घूम कर उन्होंने लोगों से नागरिकता अधिनियम के खिलाफ लोगों को साथ देने को कहा। शनिवार को इस अभियान का अंतिम दिन है। डीएमके हस्ताक्षर किए हुए इन दस्तावेजों को राष्ट्रपति को भेजेगा।
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