सुष्मिता कुमारी, आईआईएन/चेन्नई, @SushmitaSamyak
पिछले 60 दिनों से लॉक डाउन जारी होने के कारन घर में खाने की तंगी है। आमदनी बिल्कुल रुक गई है अब ऐसे में घर का किराया, ऑटो का किराया, बच्चों की स्कूल फी यह सभी मेरी परेशानी को और बढ़ाती हैं। सालो पहले मेरे पति की मौत हो चुकी है और पुरे परिवार की जिम्मेदारी मेरे ऊपर है।
यह कहना है चेन्नई में ऑटो चलनी वाली ऑटो चालक सुमति का। सुमति पिछले 7 सालों से अपने पति की मौत के बाद ऑटो चलाकर पुरे परिवार का भरण-पोषण कर रही है।
वह बताती है की लॉक डाउन के बाद राज्य सरकार ने जो सहायता राशि और खाने के सामान बाँटे हैं उससे 2 महीने गुजारा कर पाना बहुत ही मुश्किल है।
अगर अगले महीने भी ऐसे ही लॉकडाउन चला तो उनका मकान मालिक उन्हें घर से बाहर कर देगा। जो ऑटो वह चलाती है वह किराए पर है अगर उसका किराया नहीं भरा तो उनके हाथों से ऑटो भी छीन जाएगा|
लॉकडाउन की वजह से समाज का हर तबका किसी न किसी रूप से प्रभावित हुआ है। चाहे वो प्रवासी मजदूर हो या घरों में काम करने वाले, धोबी, दर्जी, बनिया, किसान, ऑटो व टैक्सी चालक हर कोई इस लॉकडाउन से प्रभावित हुआ है। लॉकडाउन का सीधा असर इन लोगों की आमदनी पर पड़ा है|
लॉक डाउन की मार चेन्नई के करीबन तीन लाख ऑटो चालकों पर भी पड़ी है। जब से लॉकडाउन शुरू हुआ तब से यह घरों से बाहर नहीं निकल पाए और बिना कमाए यह अपने परिवार का पालन-पोषण कैसे करें, यह इनके लिए सबसे बड़ी समस्या है।
इन तीन लाख ऑटो चालकों में से 25 हजार ऐसे हैं जिन्होंने राज्य के श्रम विभाग में अपना पंजीकरण करा रखा है। इनमें से दस हज़ार लोग ऐसे हैं जिनका अभी रिन्यूअल होना बाकी है।
राज्य सरकार की ओर से इन ऑटो चालकों के लिए ₹1000 सहायता राशि दी गई है लेकिन यह सहायता राशि उन्हीं लोगों को मिली है जिनका पंजीकरण दुरुस्त है। अधिकांश ऐसे लोग हैं जिनका पंजीकरण नहीं है और वह आमदनी ना होने के कारण भूखे मरने को विवश हैं।
अब लॉक डाउन बढ़ा तो मजबूरन उतरना पड़ेगा सड़क पर
चेन्नई में ऑटो चलाने वाली शांति का कहना है कि इससे पहले वर्ष 2015 में जब बाढ़ आया था तब उनके सामने ऐसी स्थिति प्रकट हुई थी लेकिन वह इतनी विकट नहीं थी।
उस वक्त कई गैर सरकारी संस्थानों ने उनकी मदद की और उन्हें भोजन आदि मुहैया कराया गया था| लेकिन इस लॉकडाउन ने उनके और उनके परिवार के लिए भूखों मरने की स्थिति पैदा कर दी है।
पिछले 60 दिनों से वह ऑटो नहीं चला पा रही हैं जिसके कारण आमदनी कुछ भी नहीं है। वह बताती हैं कि ऑटो चालकों की कमाई उनके परिचालन पर निर्भर करती है।
एक दिन की कमाई से उनके 2 दिन का खर्च चलता है| लेकिन अभी 60 दिन हो गए हैं और कमाई का कोई जरिया नहीं है। वह बताती हैं कि अगर यह लॉकडाउन ऐसे ही आगे बढ़ता रहा तो उन्हें विवश होकर सड़कों पर उतरना होगा।
लोन चुकाएं, किराया दे या परिवार चलाएं
ऑटो चालक वेंकटेश बताते हैं कि उन्होंने 4 महीने पहले ही बैंक से लोन लेकर एक नई ऑटो खरीदी थी| अब जब आमदनी ही नहीं है तो वह बैंक की किस्त कैसे चुकाएंगे?
सरकार ने तो यह घोषणा कर दी है कि बैंकों की किस्त देने में लोगों को राहत दी जाएगी लेकिन यहाँ राहत के बजाय बैंक कर्मी रोज फोन कर परेशान करते हैं कि किस्त भरो वरना ऑटो जब्त कर लिया जाएगा।
ऑटो का किस्त जमा करें या फिर मकान का किराया भरें उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा| उनके परिवार का भरण पोषण राजनीतिक पार्टियों के रहमों- करम पर चल रहा है। स्थानीय इलाके के नेताओं की तरफ से उन्हें हर माह भोजन सामग्री मुहैया करा दी जाती है।
लॉक डाउन ने ज़िन्दगी की दुश्वार
ऑटो चालक बाबू का कहना है कि पिछले दो महीने से उन्हें घर का किराया और बच्चों की पढ़ाई के सामान को पूरा करने में काफी दिक्कत हो रही है। लॉकडाउन की वजह से उन्हें घर में ही बैठना पड़ रहा है जिसकी वजह से कोई आमदनी नहीं हो रही है।
परिवार का भरण-पोषण किसी तरह से दोस्त और रिश्तेदारों के रहमों-करम से हो रहा है। पिछले महीने तो किसी तरह काम चल गया लेकिन इस महीने उन्हें अपने घर से कुछ पैसे मँगाने पड़े तब जाकर गुजारा हो रहा है।
तमिलनाडु सरकार ने हाल में एक आदेश जारी कर यह कहा है कि चेन्नई के अलावा राज्य के अन्य हिस्सों में ऑटो और टैक्सी सेवा बहाल कर दी जाएगी।
चेन्नई रेड जोन में होने के कारण यहाँ अभी ये सेवाएं शुरू नहीं की जा रही है। ऐसे में ये ऑटो चालक चाहते है की राज्य सरकार उनके लिए कुछ करे जिससे की उनका और उनके परिवार का गुजर बसर हो सके।
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