नमक व चिनी का कम सेवन सेहत के लिए लाभकारीं: प्रो. ग्राहम
सुष्मिता दास/आईएनएन, दिल्ली, @infodeaofficial;
स्वाद के लहजे से नमक व चीनी दोनों भले ही अच्छा लगे पर स्वास्थ्य के लिए दोनों ही हानिकारक कारक है। सेपिअन्य हेल्थ फाउंडेशन द्वारा नमक व चिनी के प्रयोग पर लोगों को विश्वभर में जागरुक किया जा रहा है। एक्शन ऑन सुगर, कंसेंसस एक्शन ऑन साल्ट एंड हेल्थ (कैश) व वल्ड एक्शन ऑन साल्ट एंड हेल्थ (वाश) के चेयरमैन प्रोफेशर ग्राहम मेकगेगोर का कहना है कि नमक व चीनी दो एसे खाद्य पदार्थ है जो मानव स्वास्थ्य को काफी प्रभावित करते हैं।
भारत ऐसा देश हैं जहां अधिकांश लोग डायबिटिज व हार्ट अटैक के शिकार होते हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि हम चीनी व नमक के व्यवहार को कम करें। उन्होंने एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि जिन देशों में नमक के व्यवहार को कम किया गया है वहां मृत्यु दर कम पाई गई है। नमक के व्यवहार करने वाले लोगों में हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत ज्यादा रहती है जो कि आगे जाकर हार्ट अटैक, किडनी की बीमारी व स्ट्रोक बन लोगों की जान लेते है।
उन्होंने बताया कि भारत में विभिन्न राज्यों में खाद्य पदार्थों में 9 से 14ग्राम तक नमक को व्यवहार में लाया जाता है जो मानव जीवन के लिए हितकारी नहीं है। हमें इसे कम कर 5ग्राम प्रतिदिन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड में उनकी संस्था के प्रयास के कारण कई मल्टी नेशनल कंपनियों ने अपने खाद्य पदार्थों में चीनी व नमक के व्यवहार में कमी की है।
वहां की सरकार ने इन कंपनियों के लिए ऐसे नियम बनाए हैं कि ज्यादा नमक व चिनी का इस्तेमाल कर खाद्य पदार्थ बनाने वाली कंपनियों पर ज्यादा कर लगाया जाता है। फलस्वरूप कंपनियों ने स्वयं ही इनका इस्तेमाल कम कर दिया लेकिन चिंता इस बात की है कि कैसे वहीं कंपनियां भारत में अपने खाद्य उत्पादों में उनका धड़ल्ले से उपयोग कर रही है जो कि मानव के लिए हानिकारक है।
आज भारत में भी में इस प्रकार के अभियान की जरूरत है। इंग्लैंड में जो कंपनियां लोगों को स्वास्थ्यवर्धक खाद्य उत्पाद मुहैया करती हैं वही भारत में अलग प्रकार के उत्पाद तैयार कर यहां के बाजारों में बेचती हैं जो कि यहां के लोगों के लिए स्वास्थ्यवर्धक नहीं है। उन्होंने बताया कि भारत में सबसे पहले सरकार को इसकी गम्भीरता को समझना होगा तब जाकर हम लोगों को इस समस्या के बारे में जागरूक कर सकेंगे।
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