सतीश श्रीवास्तव, आईआईएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
महानगर की मशहूर साहित्यिक संस्था अनुभूति ने शिक्षक दिवस के विशेष अवसर पर अरुम्बाक्कम स्थित डी.जी. वैष्णव कॉलेज में रविवार को गुरु देवो भवः नामक मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की छात्रा दिव्या के गीत हम अपनी संस्कृति का गुणगान सुनाते हैं से हुई।
इसके बाद दिलीप चंचल ने पीछे एक मजबूत गाँठ का होना भी जरूरी है, सिर्फ सूई-धागे से पैंबंद नहीं बनते, मनोज सिंह ने गुरू हमारे भविष्य के निर्माता होते हैं, सुमन अग्रवाल ने अपने दो-चार रहें साथ तो घर लगता है, के.के. ककानी ने लोग तलाशते हैं कोई फिक्रमंद रहे, वरना कौन ठीक होता है हाल पूछने से, ओमपाल शर्मा ने यह ममता, मोह-माया किसी काम की नहीं, रेखा ने गुरुदेव तुमको नमस्ते-नमस्ते एवं मीठू मिठास ने हम सारे कवि कुंभ नहाने आए हैं सुनाकर जमकर तालियाँ बटोरीं।
कार्यक्रम के दौरान उषा टिबरेवाल, विजय बिसानी, चुन्नीलाल शर्मा, शकुंतला तथा एफटीएस की सदस्या लता ने भी अपनी रचनाएँ पेश कीं। इस दौरान बी एल आछा ने प्रासंगिक व्यंग्य सुनाकर सभी को जमकर हँसाया।
कार्यमक्र के अंत में लखनऊ से पधारे युवा कवि एवं विशिष्ट अतिथि स्वयं श्रीवास्तव ने आँखों से मेरे नीद की आहट चली गई, वो घर से गया घर की सजावट चली गई तथा मजबूरियों का नाम हमने शौक रख दिया आदि मुक्तक सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।
इसके अलावा उनका डाकिया इक खत तुम्हारे नाम से कल दे गया था, एक कोना नम था उसका इसलिए हम पढ़ ना पाए प्रेम गीत सुनाकर पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा। कार्यक्रम का संचालन संस्था के महासचिव गोविंद मूंदड़ा तथा विशिष्ट अतिथि का स्वागत अध्यक्ष ज्ञान जैन ने किया।
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