उप-राष्‍ट्रपति ने शास्‍त्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया

आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial 

प-राष्‍ट्र‍पति एम वेंकैया नायडू ने आज शास्‍त्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन का आह्वान करते हुए कहा कि ये हमें अतीत में झांकने के लिए वातायन तथा प्राचीन भारत के सभ्‍यता संबंधी मूल्‍य प्रदान करती हैं।

नायडू एक विशेष रेलगाड़ी से नेल्‍लोर जिले के वेंकटचलम पहुंचे। उन्‍होंने आज नेल्‍लोर में भोजन के दौरान बैठक में तेलुगु के विद्वानों, लेखकों तथा तेलुगु भाषा के विशेषज्ञों से बातचीत की।

बातचीत के दौरान, उप-राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारी शास्‍त्रीय भाषाएं हमारे प्राचीन चिंतकों, वैज्ञानिकों, कवियों, संतों, चिकित्‍सकों, दार्शनिकों और शासकों के ज्ञान और बुद्धिमता का प्रतिनिधित्‍व करती हैं।

उन्‍होंने कहा कि यदि हम इस कड़ी को संरक्षित नहीं करेंगे तो हम उस खजाने की अत्‍यंत बहुमूल्‍य कुंजी खो देंगे, हम जिसके उत्‍तराधिकारी हैं।

रिपोर्ट के संदर्भ में, उन्‍होंने उस तथ्‍य पर चिंता व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि भारत की 40 से अधिक भाषाओं अथवा बोलियों को संकटापन्‍न माना जा रहा है और ऐसा समझा जाता है कि वे विलुप्ति की ओर बढ़ रही हैं, क्‍योंकि कुछेक हजार लोग ही उनका प्रयोग करते हैं।

विद्वानों के साथ श्री नायडू का विचार-विमर्श शास्‍त्रीय तेलुगु भाषा के संवर्धन तथा ‘शास्‍त्रीय तेलुगु अध्‍ययन विशिष्‍टता केंद्र’ के विकास के आसपास केंद्रित था।

केंद्रीय भारतीय भाषा संस्‍थान (सीआईआईएल), मैसुरू के तहत, 2008 में एक शास्‍त्रीय भाषा के रूप में तेलुगु को मान्‍यता मिलने के बाद, शास्‍त्रीय तेलुगु अध्‍ययन विशिष्‍टता केंद्र (सीईएससीटी) की स्‍थापना की गई थी। तेलुगु को शास्‍त्रीय भाषाओं के रूप में घोषित किया गया था, क्‍योंकि यह सरकार द्वारा निर्धारित निम्‍नलिखित शर्तें पूरी करती हैं :

1.  1500-2000 वर्षों की अवधि का इसका समृद्ध मूल पाठ/इतिहास,

2.      प्राचीन साहित्‍य/मूल पाठ का एक भाग, जिसे वक्‍ताओं की पीढि़यों द्वारा बहुमूल्‍य विरासत माना जाता है।

3.      साहित्यिक परंपरा मौलिक है और किसी अन्‍य बोली वाले समुदाय से प्राप्‍त नहीं है।

4.    शास्‍त्रीय भाषा और साहित्‍य आधुनिकता से भिन्‍न होने के कारण, शास्‍त्रीय भाषा तथा इसके अगले रूपों के बीच अंतराल भी हो सकता है।

यह ध्‍यान देने योग्‍य बात है कि तमिल भारत की पहली भाषा थी, जिसे 2004 में शास्‍त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था। इसके बाद शास्‍त्रीय तमिल विशिष्‍टता केंद्र, जो केंद्रीय भारतीय भाषा संस्‍थान, मैसुरू के परिसर में काम कर रहा था, उसे 2008 में तमिलनाडु सरकार के अनुरोध पर चेन्‍नई स्‍थानांतरित किया गया। इस संस्‍थान को अब केंद्रीय शास्‍त्रीय तमिल संस्‍थान (सीआईसीटी) के रूप में जाना जाता है।

तमिल भाषा के संरक्षण और संवर्धन के संस्‍थान के क्रियाकलाप तथा उसके द्वारा संचालित विभिन्‍न परियोजनाओं से अवगत होने के लिए उप-राष्‍ट्रपति ने कल (19 जनवरी, 2020) सीआईसीटी, चेन्‍नई का दौरा किया। भारत सरकार द्वारा शास्‍त्रीय भाषाओं के रूप में घोषित अन्‍य भाषाओं में संस्‍कृत, कन्‍नड, मलयालम तथा ओडिया शामिल हैं।

शास्‍त्रीय तेलुगु अध्‍ययन विशिष्‍टता केंद्र को मैसुरू से स्‍थानांतरित करने की मांग के बाद, उप-राष्‍ट्रपति ने कुछ वर्ष पूर्व सीईएससीटी को तत्‍कालीन अविभाजित आंध्र प्रदेश में स्‍थानांतरित करने का सुझाव दिया था।

इसके बाद केंद्र सरकार ने इसके बारे मे अविभाजित आंध्र प्रदेश सकरार को लिखा था। आंध्र प्रदेश राज्‍य के विभाजन के बाद, श्री नायडू ने पुन: पहल की तथा केंद्र सरकार से सीईएससीटी को किसी तेलुगु भाषी राज्‍य में स्‍थानांतरित करने की मांग की।

बाद में केंद्र सरकार ने नेल्‍लोर में सीईएससीटी को स्‍थापित करने का निर्णय किया। नेल्‍लोर में संस्‍थान के नए परिसर की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इस बीच, उप-राष्‍ट्रपति की पुत्री तथा स्‍वर्ण भारत ट्रस्‍ट की प्रबंधक न्‍यासी श्रीमती दीपा वेंकट ने नेल्‍लोर में स्‍वर्ण भारत ट्रस्‍ट के परिसर में 3-4 वर्षों के लिए संस्‍थान को नि:शुल्‍क स्‍थान देने की पेशकश की है।

उप-राष्‍ट्रपति के सुझाव पर, केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्‍वर्ण भारत ट्रस्‍ट, नेल्‍लोर में ‘शास्‍त्रीय तेलुगु अध्‍ययन विशिष्‍टता केंद्र का विकास’ विषय पर एक दो-दिवसीय कार्यशाला आयोजित की है। शास्‍त्रीय भाषा तेलुगु के अनेक विद्वान एवं विशेषज्ञ इस कार्यशाला में भाग ले रहे हैं।

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