टोंक में रामलीला में उमड़ रही भीड़ देखकर कलाकार हुए गदगद
रामलीला की परंपरा को निभा रहे है बृजभूमि के कलाकार
INN/Jaypur, @Infodeaofficial
देशभर में शारदीय नवरात्रो में जंहा जगह जगह गरबा ओर डांडिया की धूम मची है । वही टोंक में रामलीला मैदान पर रामलीला का आयोजन श्री राधा सर्वेश्वर रामलीला मंडल द्दारा किया जा रहा है । जिसे देखने लोगो की भीड़ उमड़ रही है । सोमवार की रात टोंक में भव्य राम बारात निकाली गई तो मंच पर रामलीला में सीता स्वयंवर का मंचन हुआ । सत्य की राह पर चलने का संदेश देती रामलीलाओं में आज भी लोग रामलीला देखने पंहुचते है । टोंक जिला मुख्यालय पर बृजभूमि से आये कलाकारों की टोली रामलीला में अपनी प्रस्तुतियां दे रही है ।
क्या रंगमंच पर मिलने वाली तालिया कलाकारो के पेट की भूख मिटाने के लिए काफी है कितना मिलता है । कलाकारों को मानदेय ओर क्या संदेश देते है रामलीला के कलाकार लोगो को इन्ही सवालों का जवाब जानने के लिए टोंक में रामलीला कर रहे बृज भूमि के अलग अलग गांवो से टोंक आये हुए रामलीला के कलाकारों से जब बात की तो जवाब था “रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाए पर वचन न जाये ” टीम के सदस्य और मंच पर श्रीराम का किरदार निभाने वाले अशोक कुमार बताते है कि रामायण से हमे प्रेरणा मिलती है कि सत्य की सदा असत्य पर जीत होती आईं है और आखीर किस तरह अपना वचन निभाने को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने माता केकई को दिए वचन को पूरा करने के लिए राजपाट छोड़कर वनवास में जाना स्वीकार किया ।
बृज भूमि से टोंक आई श्री राधा सर्वेश्वर रामलीला मंडली टोंक में इन दिनों रामलीला का आयोजन कर रही है । लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले माधव ब्रजवासी कहते है हम सभी कलाकार अपने बड़ो की परंपराओ को निभा रहे है । मंच पर तालिया तो खूब मिलती है और एक कलाकार के लिए मान ओर सम्मान ही उसकी कला का मानदेय होता है रामलीला हम लोगो को सत्य की राह दिखाने ओर प्रभु श्रीराम के बताए सत्य के मार्ग पर चलने के लिए करते है । माधव आज के दौर में धार्मिक आयोजनों में फूहड़ नृत्यों ओर अश्लीलता से आहत नजर आते है और कहते है कि ऐसे धार्मिक आयोजन में मर्यादाओ का ध्यान रखना चाहिए जिससे भावी पीढ़ी को हम संदेश दे सके ।
बदलते समय मे जंहा लोगो का धर्म के प्रति रुझान बढ़ा है तो वही आज की युवा पीढ़ी भी अपने बुजर्गो की परंपराओ के निर्वहन में कोई कसर नही छोड़ना चाहती है । भले ही रामलीला जैसी प्रस्तुतियों को पेश कर इन कलाकारों की सालभर की रोजी-रोटी का इंतजाम न होता हो पर यह लोग अपने बड़ो की शुरू की गई परम्पराओ का निर्वहन आज भी कर रहे है । यह चाहते है कि हमारी भावी पीढ़ी धर्म की बताई राह पर चलते हुए जीवन मे सदा सत्य के मार्ग को अपनाए ।