मास्क और ग्लब्स लगा पेपर बाट रहे तमिलनाडु के हॉकर्स

रीतेश रंजन, आईआईएन/चेन्नई, @Royret

कोरोना वायरस के प्रकोप भारत में फैलने के बाद से सोशल मीडिया के माध्यम से कई ऐसी खबरे आ रही थी की अख़बार से दुरी बना के रखनी चाहिए। यह भी कोरोना वायरस फैलने का एक माध्यम हो सकता है। इस संदेह के वायरल होने के बाद से कई लोगो ने अखबार लेना बंद कर दिया।

लेकिन तमिलनाडु में प्रिंट मीडिया हाउस ने एक अनोखी पहल की है, यहाँ अखबार को जो डीलर्स और हॉकर्स  सुबह सुबह बाटने निकलते है। वो अब अखबार मास्क, ग्लब्स और सेनेटाइजर का उपयोग कर बाटते है। लोगो में फैले इस भ्रम को दूर करने के लिए मीडिया हाउस लोगो को जागरूक करने का भी प्रयास कर रहा है।

अखबार भी कोरोना वायरस का एक माध्यम हो सकता है इस सन्देश के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर वायरल होने के बाद कई ऐसे लोग थे जिन्होंने अपने हॉकर्स को अखबार देने से मन कर दिया। कुछ लोगों ने इ पेपर को खुद को अपडेट रखने का माध्यम बना लिया।

टीम इनफोडिया ने जब इस बात की पड़ताल की तो हमने पाया की इस अफवाह ने चेन्नई वासिओं को भी जकड रखा था। कई लोगों का कहना है की उन्होंने व्हाट्सअप्प में कई ऐसे सन्देश देखे जिसमे यह बताया गया था की अखबार भी एक माध्यम है कोरोना वायरस फ़ैलाने का।

चेन्नई निवासी रिंकू संकलेचा का कहती है की हम लोग अभी भी अखबार ले रहे है। लेकिन अखबार घर के अंदर लाने से पहले मई काफी सावधानी बरतती हूँ।

अखबार को चिमटे से पकड़ घर के अंदर लाते है। उसके बाद उसके हर पन्ने को अच्छी तरह से आयरन कर ही हाथ लगते है। इस गलत खबर के वायरल होने के बाद से अधिकांश लोगो ने इ पेपर पढ़ना शुरू कर दिया है।

लेकिन बिना अखबार के मेरे पति का दिन कम्पलीट ही नहीं होता इसलिए मई इन सुरक्षा उपायों को व्यवहार में लाती हों। हमारी काम्प्लेक्स में रहने वाले काफी लोगों ने अखबार लेना बंद कर दिया है, उनका कहना है की जब कोरोना महामारी से छुटकारा मिल जाएगा उसके बाद से ही हम घर में अखबार लेना शुरू करेंगे।

वही अखबार कंपनियों का कहना है की अखबार के माध्यम से  कोरोना नहीं फैलता। लोगो में इस बात को लेकर केवल भ्रम फैलाया जा रहा है। इस भ्रम फ़ैलाने के पीछे किसका हाथ है हम उसकी जांच कर रहे है।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के सर्कुलेशन हेड मधु नायर का कहना है की हमारे यहाँ अखबार छपने से लेकर लोडिंग तक मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। 

डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर स्तर पर ही फिंगर टच होता है।हलाकि इस अफवाह के बाद से हमारी सर्कुलेशन  में थोड़ी कमी आयी है।

लेकिन लोगों के मन से भ्रम दूर करने और अपने हॉकर्स को सुरक्षित रखने के लिए हम उन्हें मास्क और सेनिटिज़ेर दे रहे है।

लॉक डाउन शुरू होने के बाद से इन न्यूज़ पेपर डीलर और हॉकर को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।

तमिलनाडु न्यूज़ पेपर वेंडर एसोसिएशन के अध्यक्ष के देवेन्द्रन का कहना है की शुरुआत के कुछ दिनों में सड़क पर निकलने वाले अधिकांश हॉकर्स को पुलिस के कोप भजन का शिकार बनना पड़ा।

हमने पुलिस अधिकारिओं से बात की पुलिस कर्मियों को समझने की कोशिह की पर किसी ने हमारी एक न सुनी।

कइयों पर तो पुलिस ने लाठियां भी बरसाई। इस परिस्थिति को देखते हुए कई हॉकरों ने काम पर आना छोड़ दिया।

तमिल दैनिक अखबार दीनामलर के दक्षिण भारत  सर्कुलेशन हेड नीलकंदन बताते है की लॉक डाउन के दूसरे दिन हमारे एक हॉकर को पुलिस वालों ने कोडंबक्कम के इलाके में गन्दी तरह से पिटाई कर दी। इसके बाद हमने अखबार में खबर छापा की पुलिस कर्मियों को पीटने का अधिकार किसने दिया।

इस खबर के छपने के अगले दिन मुख्यमंत्री ने पुलिस के बड़े अधिकारीयों के साथ बैठक की और निर्देश जारी किया की किसी हॉकर के साथ पुलिस बर्बरपूर्ण रवैया न अपनाये। उसके बाद से हमारे हॉकरों के लिए काम करना आसान हो गया है।

दक्षिण के हिंदी दैनिक अखबार दक्षिण प्रकाश के प्रधान संपादक बी पी गोस्वामी का कहना है की लॉक डाउन के शुरुआत के दिनों में चेन्नई के बाहर अखबार भेजने में परेशानी आयी।

कुछ दिनों बाद स्थिति में कुछ सुधार तो आया पर अभी भी कुछ जगहों पर अखबार भेजने में हमे परेशानी आ रही है।

अखबार माध्यम हो सकता है कोरोना वायरस का इस गलत खबर के बाद कई लोगों ने अखबार लेना बंद कर दिया है लेकिन यह भ्रम कुछ ही दिनों तक रहा। 

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