मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा सोशल मीडिया कंपनियां इसके नुकसान की जिम्मेदारी से नहीं बच सकती

 विष्णु शर्मा, आईआईएन/चेन्नई, @svs037

द्रास उच्च न्यायालय ने माना कि सोशल मीडिया कंपनियां उनके मंच से प्रसारित की जा रही फर्जी खबरों और अफवाहों की वजह से समाज को होने वाले नुकसान की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। अदालत ने कहा कि उपयोगकर्ताओं द्वारा दुरुपयोग करने के प्रति उनको जवाबदेह बनाए जाने की जरूरत है।

उपयोगकर्ताओं की ओर से साझा की जा रही सामग्री के लिए मंच की जिम्मेदारी तय करने का महत्व रेखांकित करते हुए अदालत ने कहा, फर्जी खबर, भ्रामक सूचना और नफरत फैलाने वाले भाषण सैकड़ों लोगों तक पहुंचते हैं और इसका लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर होता है जिससे अशांति फैलती है।

अदालत ने कहा, कानून-व्यवस्था खराब हो सकती है। यह मंच इसके इस्तेमाल से होने वाले नुकसान की जवाबदेही से नहीं बच सकता। न्यायमूर्ति एम. सत्यनारायणन और न्यायमूर्ति एन. शेषसाई की खंडपीठ ने यह टिप्पणी एंटोनी क्लीमेंट रुबीन की याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

जब मामला सुनवाई के लिए आया तो रुबीन ने अदालत से अनुरोध किया कि साइबर अपराध को रोकने के लिए सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से या किसी अन्य सरकार द्वारा सत्यापित पहचान पत्र से जोडऩे का अनुरोध करने वाली उनकी याचिका में बदलाव की इजाजत दी जाए। हालांकि, अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया।

व्हाट्सऐप की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन. एल. राजा ने सोशल मीडिया अकाउंट को किसी पहचान पत्र से जोडऩे का विरोध करते हुए कहा कि यह निजता के अधिकार के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा, पहचान का दुरुपयोग हो सकता है। अगर कोई व्यक्ति गलत फोन नंबर, आधार नंबर और पहचान पत्र देता है तो निर्दोष व्यक्ति को परेशानी हो सकती है।

ऐसे में हम उसका कैसे पता लगाएंगे। राजा ने रेखांकित किया कि सोशल मीडिया कंपनियां वैश्विक स्तर पर और भारत में स्व नियामन का प्रयास कर रही हैं और इस पर केंद्र सरकार से पहले ही चर्चा चल रही है। इस पर अदालत ने जोर देकर कहा कि निजता का मूल अधिकार भारत में पूर्ण नहीं है।

निजता का सिद्धांत समाज की शांति पर पडऩे वाले असर से अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो सकता। बोलने की आजादी के साथ कुछ जिम्मेदारी भी होती है। इससे पहले सोशल मीडिया के वकीलों ने मामले की सुनवाई इस आधार पर स्थगित करने की मांग की कि पहले ही विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित मामलों को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका उच्चतम न्यायालय स्वीकार कर चुका है।

  1. Casino Kya Hota Hai
  2. Casino Houseboats
  3. Star111 Casino
  4. Casino Park Mysore
  5. Strike Casino By Big Daddy Photos
  6. 9bet
  7. Tiger Exch247
  8. Laserbook247
  9. Bet Bhai9
  10. Tiger Exch247.com

Posted

in

by

Tags:

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *