आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और रेल मंत्री श्री पीयूष गोयल ने आज व्यापार बोर्ड और व्यापार विकास एवं संवर्धन परिषद की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की और राज्यों के उद्योग एवं कृषि मंत्रियों, उद्योगपतियों, निर्यात संवर्धन परिषदों के पदाधिकारियों और केंद्र सरकार के आर्थिक व अवसंरचना मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की जो पूरे दिन चली। इस बैठक में निर्यात एवं घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और व्यापार घाटे को कम करने पर गहन चर्चाएं हुईं।
बैठक समाप्त होने के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार की नीति के प्रभावशाली परिणाम सुनिश्चित करने के लिए मंत्रालय/विभाग अब अलग-थलग रहकर काम नहीं कर सकते हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने यह भी कहा कि आज की बैठक में लिए गए कई निर्णयों पर ठोस कदम अगले 45 दिनों में उठाए जाएंगे। उन्होंने यह भी घोषणा की कि इस दिशा में अगली बैठक 45 दिनों में होगी। श्री गोयल ने कहा कि निर्यातकों को सस्ती ब्याज दरों पर ऋणों की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करने की समस्या जल्द ही सुलझा ली जाएगी और सभी प्रमुख बंदरगाहों पर एक्स-रे स्कैनर लगाकर कस्टम संबंधी मंजूरी जल्द दिलाने की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि दवा क्षेत्र में करीबी नजर रखने एवं पता लगाने संबंधी सुदृढ़ व्यवस्था तीन महीनों में स्थापित कर दी जाएगी। मंत्री ने कहा कि केन्द्रीय एवं राज्य करों और शुल्कों पर छूट देने की एक नई योजना तीन माह में शुरू की जाएगी और इसे सभी क्षेत्रों (सेक्टर) में चरणबद्ध ढंग से लागू किया जाएगा।
दिन भर चले विचार-विमर्श के दौरान निर्यातकों ने अमेरिका एवं चीन के बीच जारी व्यापार विवादों, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी के तहत जारी विचार-विमर्श और निर्यात ऋणों की उपलब्धता में हो रही कठिनाइयों के बारे में अपने विचार व्यक्त किए। नई कृषि निर्यात नीति के कार्यान्वयन, लॉजिस्टिक्स लागत में कमी करने, सभी राज्यों में कारोबार करने में और आसानी सुनिश्चित करने एवं घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा आयात में कमी करने से संबंधित विशिष्ट कार्य बिन्दुओं की पहचान की गई। राज्यों से अपनी-अपनी विशिष्ट जरूरतों और बढ़त को ध्यान में रखते हुए अपनी-अपनी निर्यात रणनीतियों को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने का अनुरोध किया गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने राज्य सरकारों से सरकारी ई-मार्केटप्लेस (जेम) को अपनाने का आग्रह किया, जो बेहतर पारदर्शिता एवं दक्षता के लिए एकल स्थल वाला ऑनलाइन खरीद पोर्टल है। राज्य सरकारों ने उद्यमिता एवं स्टार्टअप व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस कदम उठाने पर सहमति जताई।
बैठक के दौरान कई निर्णय लिए गए जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं –
- डम्पिंग रोधी व्यवस्था के तहत आयात, विशेषकर एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम) के उत्पादों से जुड़ी जांच में तेजी लाई जाएगी। इसमें उद्योग संगठनों की मदद ली जाएगी।
- जैव उपज के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अनेक कदम उठाए जाएंगे। सभी राज्यों में मंडी शुल्कों को तर्कसंगत बनाने के तरीकों की पड़ताल की जाएगी।
- भारत के आयात में 60 फीसदी की हिस्सेदारी वाले शीर्ष 50 आइटमों (टैरिफ लाइन) पर विस्तार से गौर किया जाएगा, ताकि आयात पर निर्भरता में कमी करना संभव हो सके।
- ईसीजीसी दावों के निपटान की प्रक्रिया में तेजी लाएगा और उद्योग के हित को ध्यान में रखते हुए लम्बित दावों को सार्वजनिक तौर पर प्रस्तुत करेगा।
- राज्यों के निर्यात आयुक्तों के साथ बैठकें पूर्व घोषित निर्धारित तिथियों पर होंगी और उस दौरान निर्यात संबंधी बुनियादी ढांचागत सुविधाओं से जुड़े मुद्दों और राज्यों की विशिष्ट निर्यात रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
- केन्द्र सरकार विनिर्माण की ज्यादा संभावनाओं वाले 50 सेक्टरों हेतु उत्पाद विशिष्ट क्लस्टरों को विकसित करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी।
- रेलवे की अचल परिसंपत्तियों से लाभ उठाने और कम उपयोग किये जाने वाले रेलवे स्टेशनों का इस्तेमाल करने के लिए वाणिज्य मंत्रालय गोदाम (वेयरहाउस) स्थापित करने की संभावनाएं तलाशेगा।
- राज्यों के साथ सलाह-मशविरा करके प्रतिष्ठानों, जिन्हें वर्तमान में लाइसेंस के वार्षिक नवीकरण की जरूरत पड़ती है, के लिए मान्य (डीम्ड) मंजूरी की अवधारणा की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
- डीपीआईआईटी/डीओसी विनिर्माण, निर्यात और लॉजिस्टिक्स सहायता के लिए उद्योग जगत को मुहैया कराए गए सहयोग के आधार पर एक रैंकिंग फ्रेमवर्क पर राज्य सरकारों का आकलन करेगा।
- डीपीआईआईआईटी सार्वजनिक खरीद ऑर्डर में ‘मेक इन इंडिया’ को कार्यान्वित कर सार्वजनिक खरीद से लाभ उठाने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करेगा।
- डीपीआईआईटी अगले 6 से 9 महीनों में एक राष्ट्रीय निवेशक संवर्धन कार्यक्रम आयोजित करने के लिए उद्योग जगत (शीर्ष उद्योग संगठनों जैसे कि सीआईआई, फिक्की, एसोचैम एवं पीएचडीसीसीआई सहित) के साथ मिलकर काम करेगा।
- राज्यों और उद्योग जगत के सहयोग से विशिष्ट सेक्टरों, विशेषकर रोजगार सृजित करने वाले उद्योगों के लिए क्लस्टरों के विकास की दिशा में काम किया जाएगा।
- एपीडा एक पोर्टल का सृजन करेगा, जो देश भर में एफपीओ को होस्ट करेगा और उन्हें निर्यातकों से जोड़ेगा।
इससे पहले अपने आरंभिक भाषण में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने स्वतंत्र भारत के प्रथम उद्योग मंत्री डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के विजन का स्मरण किया, जिन्होंने वर्ष 1948 के उद्योग नीति संबंधी प्रस्ताव के जरिए भारत के औद्योगीकरण की सुदृढ़ नींव रखी थी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि इस बार उद्योग जगत के साथ बैठक को राज्यों के साथ बैठक से जोड़ा गया है, ताकि सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघवाद की सच्ची भावना के साथ समग्र रूप से विचार-विमर्श किया जा सके। उन्होंने विशेष जोर देते हुए कहा कि उद्योग जगत को सरकारी सहायता एवं सब्सिडी के नजरिए से स्वयं को अलग कर लेना चाहिए, क्योंकि कई ऐसे बड़े मुद्दे हैं जिन्हें ढांचागत स्तर पर सुलझाने की जरूरत है। उन्होंने उद्योग जगत से समस्या के मूल कारण पर फोकस करने और गुणवत्ता एवं दक्षता की दृष्टि से देश की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने का अनुरोध किया। उन्होंने उद्योग जगत को आश्वासन दिया कि जहां कहीं भी ऋणों की बढ़ी हुई लागत, तरलता (लिक्विडिटी) की आसान उपलब्धता जैसी वास्तविक कठिनाइयां होंगी, उन्हें तेजी से दूर किया जाएगा। उन्होंने निर्यात की दृष्टि से सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उल्लेखनीय है कि भारत से निर्यात ने पहली बार आधा ट्रिलियन (लाख करोड़) का आंकड़ा पार किया है और वस्तुओं का निर्यात 331 अरब अमेरिकी डॉलर के अब तक के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह ‘कारोबार में सुगमता’ सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधरकर 77वीं हो गई है और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी भारत की रैंकिंग भी बेहतर होकर 44वीं हो गई है। सरकारों द्वारा 25,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की खरीद की गई है, जिससे व्यापक बचत हुई है।
आवास एवं शहरी मामलों तथा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं वाणिज्य व उद्योग राज्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री सोम प्रकाश ने भी इन चर्चाओं में भाग लिया। नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत, उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग में सचिव श्री रमेश अभिषेक और वाणिज्य सचिव श्री अनूप वधावन भी इस सम्मेलन के दौरान उपस्थित थे।
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