उपराष्‍ट्रपति तीन देशों – लिथुआनिया, लातविया और एस्तोनिया की यात्रा पर

आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial 

पराष्‍ट्रपति एम वैंकया नायडू आज बाल्टिक क्षेत्र के तीन देशों की यात्रा के पहले चरण में लिथुआनिया पहुंचे। उन्‍होंने लिथुआनिया के राष्‍ट्रपति गिटानस नौसेदा को अनुच्‍छेद 370 हटाने से संबंधित सरकार के फैसले के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने कहा कि यह निर्णय, क्षेत्र के सर्वांगीण विकास और नवगठित संघ शासित प्रदेश के लोगों को लाभ सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।

यात्रा के पहले चरण में लिथुआनिया की राजधानी विल्‍नियस में उपराष्‍ट्रपति ने नौसेदा को बताया कि जम्‍मू-कश्‍मीर के पुनर्गठन का लक्ष्‍य क्षेत्रीय असमानता को कम करना तथा प्रशासनिक कुशलता को बेहतर बनाना है।

उन्‍होंने कहा कि 100 से अधिक प्रगति‍शील अधिनियम दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू हो गए हैं। इनमें पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण, बाल संरक्षण कार्यक्रम, बच्‍चों को शिक्षा का अधिकार और घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण प्रदान करना शामिल हैं।

उपराष्‍ट्रपति ने लिथुआनिया के राष्‍ट्रपति को जानकारी देते हुए कहा कि कुछ स्‍वार्थी तत्‍व अनुच्‍छेद 370 कादुरुपयोग अलगाववादकी भावना भड़काने और आतंकवादी गुटों के साथ संबंध बनाने के लिए कर रहे थे। ऐसे वातावरण में सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा मिला। केंद्र सरकार द्वारा राज्‍य को विशाल धनराशि दी जाती है, लेकिन राज्‍य में इसके अनुरूप विकास कार्य नहीं हुए हैं।

नायडू ने कहा कि हम आशा करते हैं कि हमारे अंतरराष्‍ट्रीय साझीदार इस बात को समझेंगे कि यह निर्णय राष्‍ट्रीय प्रगति और समृद्धि से संबंधित है। इसका प्रमुख लक्ष्‍य समानता और समावेश है।

उन्‍होंने कहा कि सभी राष्‍ट्रों को आतंकवाद समाप्‍त करने के लिए सम्मिलित प्रयास करने चाहिए और उन राष्‍ट्रों को अलग-थलग कर देना चाहिए, जो आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं। पुलवामा आतंकी घटना की लिथुआनिया द्वारा निंदा किए जाने के लिए उपराष्‍ट्रपति ने लिथुआनिया सरकार को धन्‍यवाद दिया।

दोनों राजनयिकों ने द्विपक्षीय संबंधों के प्रमुख आयामों पर विचार-विमर्श किया। उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में व्‍यापक सुधार पर चर्चा की। दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक और आर्थिक सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। नायडू ने कहा कि भारत सबसे तेजी से विकसित हो रही बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में एक है। लिथुआनिया को भारत में उपलब्‍ध अवसरों का लाभ उठाना चाहिए।

उपराष्‍ट्रपति ने भव्‍य स्‍वागत की प्रशंसा करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच संबंध सदियों पुराने हैं। लिथुआनिया सबसे पुरानी इंडो-यूरोपीयन भाषा है और संस्‍कृत के साथ इसके गहरे संबंध हैं।

उपराष्‍ट्रपति को ‘लिथुआनिया का इतिहास’ पुस्‍तक भेंट की गई, जो हिन्‍दी भाषा में लिखी गई है। उन्‍होंने लिथुआनिया और संस्‍कृत भाषाओं के 108 सामान्‍य शब्‍दों की पुस्तिका की सराहना की। उन्‍होंने कहा कि ऐसे 10,000 शब्‍दों का कोष तैयार किया जाना चाहिए।

लिथुआनिया के राष्‍ट्रपति और उपराष्‍ट्रपति की उपस्थिति में कृषि तथा सांस्‍कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम, 2019-21 से संबंधित दो समझौतों पर हस्‍ताक्षर हुए।

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