उत्तर प्रदेश में गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा:प्रोफेसर श्याम नंदन सिंह

डॉ . आर.बी. चौधरी, आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial

त्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग ने प्रदेश के पंजीकृत गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य आरंभ कर दिया है। इसका एक मात्रा उद्देश्य यही है की गौशालाओं में पाले जा रहे निराश्रित गोवंश के भरण-पोषण के लिए गौशालायें सरकार पर आश्रित न रहे और छोटी से बड़ी सभी गौशालायें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़े।

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर श्यामनंदन सिंह ने आयोग की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को स्वावलंबी बनाने का आवाहन एक अत्यंत प्रशंसनीय कदम है।

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग ने इस आवाहन से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है कि प्रदेश की कुछ चुनी हुई बड़ी गौशालाओं को पंचगव्य उत्पाद (दूध, दही, घी, गोबर, गो-मूत्र) उपयोग के लिए मॉडल संस्था के रूप में विकसित किया जाएग।

इन गौशालाओं पर पंचगव्य औषधियों से लेकर जैविक खाद, गोबर के गमले, जालौनी के लिए गोबर के लट्ठे और गोनाइल( गोमूत्र से बनाया हुआ फिनायल) तैयार कर उसकी बिक्री कर गौशालाओं की आमदनी बढ़ाई जा सके।

प्रोफेसर सिंह ने आगे यह भी बताया कि हर साल हमारे देश में कई ऐसे पर्व मनाए जाते हैं जिसमें देवी देवताओं की मूर्तियां बनाई जाती है। इस संबंध में आयोग लोगों से अनुरोध करेगा कि वह विदेशी मूर्तियों या वस्तुओं की जगह स्वदेशी एवं प्राकृतिक मुर्तिया खरीदें। यहाँ बानी मुर्तिया पूरी तरह से इको-फ्रेंडली होती है।

इससे न केवल क्रेता और विक्रेता को लाभ होगा बल्कि पर्यावरण को संरक्षित सुरक्षित रखने में बहुत बड़ी सहायता मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस अभियान से गोबर का प्रयोग बढ़ेगा जिससे कई जगहों पर प्लास्टिक के उपयोग को रोका जाएगा।

प्रोफेसर सिंह ने बताया कि देश के कई जगहों पर गोबर के साथ अन्य रेशेदार सामग्री मिलाकर प्लाईवुड भी बनाया जा रहा है जो किफायती और मजबूत दोनों है। ऐसी वस्तुएं हमारे पर्यावरण तथा हमारे स्वास्थ्य पर अच्छा असर डालती हैं।

गोबर से लीपी हुई दीवाल सुपरकंडक्टर मटेरियल जैसा कार्य करती है। एक समय था जब घर में फर्स से लेकर कच्ची दीवारों को गोबर से लिपाई करते थे।

गोसेवा अध्यक्ष के अनुसार उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग गोबर से निर्मित लट्ठों का प्रयोग श्मशान घाट और गमलों के निर्माण में तकनीक को बढ़ावा देगा। गोबर से निर्मित गमलों की खरीदारी बढ़ाने के लिए प्रदेश के हॉर्टिकल्चर, फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की नर्सरी सहित तथा अन्य विभागों को क्रय करने के लिए कहा जाएगा।

इस कार्यक्रम से कई प्रकार के फायदे होंगे जिसमें गौशाला में काम कर रहे कर्मचारियों को अतिरिक्त रोजगार मिलेगा। इस कार्यक्रम को राष्ट्रीय आजीविका मिशन के महिला समूह से जोड़कर उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त करने नया विकल्प दिया जाएगा।

इस संबंध में गौ सेवा आयोग उत्तर प्रदेश प्रदेश ने निर्णय लिया है कि सभी जिला अधिकारियों एवं मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारियों से विशेष अनुरोध कर उनके संबंधित जनपद में बने स्थाई एवं मान्यता प्राप्त गौ संरक्षण केंद्र को इस अभियान जोड़ा जाएगा ताकि प्रदेश की गौशालायें आत्म निर्भर बने। गौ सेवा आयोग ने इस कार्यक्रम को मनरेगा से भी जोड़ने का लक्ष्य रखा है।

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