कोरोना संकटकाल में सरकारी मदद से खुश है बैग कारोबारी

विष्णुदेव मंडल, INN/Chennai, @Infodeaofficial 

चेन्नई में कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित इलाका रायपुरम है। रायपुरम विधानसभा अंतर्गत जॉर्जटाउन मन्नडी और सेवेवेल्स इलाके में 500 से भी अधिक चमडे की बैग बनाने वाली छोटी-छोटी इकाइयां काफी सैलून से यहाँ कार्यरत रहे है। जो कमोबेश 5000 से भी अधिक कामगार के लिए रोजी-रोटी का साधन देते है।

कोरोना महामारी के कारण इस इलाके में बरसों से चल रही बैग बनाने का कारोबार ठप पड़ गया है। लॉक डाउन के कारण बैग बनाने वाले 70% से भी अधिक कारीगर जो मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे वो सब अपने-अपने गृह राज्य चले गए।

अभी भी बैग बनाने के रोजगार से जुड़े हजारों की संख्या में लोग अभी भी मन्नडी और जॉर्ज टाउन इलाके में हैं जो प्रतीक्षा में है कि महानगर में कोरोना महामारी संकट दूर हो और कारीगर अपने-अपने काम पर लौट सके।

हर दिन रायपुरम जोन में सैकड़ों लोग कोरोना महामारी की चपेट में आ रहे हैं बैग कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है की अब वह ज्यादा दिन तक यहां नहीं रह सकते क्योंकि दिनोदिन महामारी विकराल रूप लेती जा रही है। वही काम काज नहीं चलने के कारण उन्हें दो वक्त का रोटी भी सहज मयस्सर नहीं हो पा रही है।

अधिकांश कारीगरों का कहना है की इस विकट घड़ी में तमिलनाडु सरकार और ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के निगरानी में उन्हें बड़ी ही मात्रा में राहत पहुंचाई गई।

सीतामढ़ी निवासी मोहम्मद सलाउद्दीन कहते हैं कि हर छोटी-छोटी यूनिट में 10 से 15 लोग काम करते हैं लेकिन कोरोना संकटकाल में लॉकडाउन के बाद से लोग बेरोजगार हो गए है। 70% लोग तो गांव चले गए हैं लेकिन अभी भी 30% लोग रुके हुए है इस उम्मीद से की कोरोना संकट जल्द दूर होगा। चेन्नई कॉरपोरेशन पिछले 3 महीनों उन्हें राशन मुहैया करा रहा है, जो हमारे जीने का एक मात्रा सहारा है।

दरभंगा निवासी मोहम्मद इरशाद अली कहते हैं की कोरोना महामारी हम गरीबों के साथ बहुत गन्दा मजाक किया है। बैग बनाने के व्यवसाय से हम लोगों का जीवन जुड़ा हुआ है लेकिन पिछले 90 दिनों से लॉक डाउन होने के कारण मालिक तनख्वाह देने से कतरा रहे हैं। जेब में फूटी कौड़ी नहीं बची है ऐसी स्थिति में सरकारी सहायता के बदौलत ही हम लोग लगभग 3 महीने से चेन्नई में टिके हुए हैं।

मुजफ्फरपुर निवासी मोहम्मद रियाज बताते हैं की जबसे लॉकडाउन हुआ है तब से उन्होंने अपने परिवार को किसी प्रकार की सहायता नहीं कर पाए हैं। अपना पेट ही भर ले यह बहुत बड़ी बात है। मंनडी इलाके में कोरोना महामारी पूरी तरह फैला हुआ है। कहीं बाहर जाने पर पाबंदी है, घर जाने को जी कर रहा है लेकिन श्रमिक स्पेशल ट्रेन में जगह नहीं मिलने के कारण यहाँ फंसे हुए हैं।

सीतामढ़ी निवासी मोहम्मद अकबर के अनुसार पिछले 3 महीनों से जारी लॉकडाउन के आमदनी बंद है, सरकारी राशन से गुजरा चल रहा है। जिस कंपनी में वह काम कर रहे थे वह के मालिक अप्रैल तक वेतन दिए लेकिन अब मालिक भी वेतन देने में आनाकानी कर रहा हैं। संक्रमण दिनोंदिन फैलता ही जा रहा है इसीलिए अब गांव जाने का तैयारी में लगे हुए हैं। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में रजिस्ट्रेशन भी करा चुके हैं।

तमिलनाडु सरकार पिछले 3 महीनों से प्रवासी दिहाड़ी मजदूरों समेत अन्य व्यवसाय से जुड़े लोगों को राहत पहुंचाने का काम कर रहे हैं मुख्यमंत्री पलनी स्वामी का सख्त निर्देश है कि एक भी प्रवासी मजदूर भूखे ना सोए।यही वजह है कि चेन्नई समेत अन्य जिलों में भी सरकार द्वारा राहत बांटने का काम लगातार जारी है ।

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