‘वैश्वीकरण में बढ़ा हिंदी का महत्व’
आईएनएन/चेन्नई,@Infodeaofficial
हिन्दी भाषा आज के दौर में विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। हिन्दी के बगैर हिन्दुस्तान को नहीं पहचान सकते । हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है जो संपूर्ण राष्ट्र को एक सूत्र में बांध सकती है। कर्मचारी राज्य बीमा निगम(ईएसआईसी) में राजभाषा पखवाड़ा पर आयोजित कार्यक्रम में निगम के अपर आयुक्त व क्षेत्रीय निदेशक एसवी कृष्ण कुमार ने यह कहा। उन्होंने कहा कि तकनीकी का विकास होने पर हिंदी की प्रभाव देश के अन्य भागों में बढ़ता जा रहा है। एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक 51 प्रतिशत लोग सोशल नेटवर्किंग साइट पर हिंदी में बातचीत करते हैं। भारत में 43 करोड़ लोगों की बोलचाल की भाषा हिंदी है।
राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार संतोष तिवारी ने कहा कि हिंदी का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। भारत के अलावा 13 देशों में हिंदी भाषा बोली जाती है। वर्ष 1950 में भारत में हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला। तिवारी ने कहा कि एक समय था जब भारत में हिंदी उपेक्षा का शिकार बन रही थी। देश के कई राज्यों में हिंदी के बजाय प्रांतीय भाषा को प्रमुखता दी जाने लगी और हिंदी का विरोध किया जाने लगा। लेकिन आज वैश्वीकरण के कारण स्थिति बदल रही है। कुछ राजनीतिक पार्टियों ने अपने राजनैतिक फायदे के लिए हिंदी का विरोध किया पर आज आमजन को हिंदी की महत्ता का अहसास हो रहा है। वे हिंदी सीखने को लेकर स्वयं जागरुक हो रहे हैं।
निगम की राजभाषा सहायक निदेशक रेवती ने कहा कि भाषा राष्ट्रीय एकता का अहम पहलू है। भाषा से ही व्यक्ति, परिवार, समाज, गांव, शहर, महानगर व देश जुड़ते हैं। उन्होंने बताया कि हिन्दी शब्द सीखें के तहत कार्यालय में डिजिटल बोर्ड लगाया गया है। कर्मचारियों को हिन्दी भाषा सिखाने के लिए रोज एक हिन्दी शब्द डिजिटल बोर्ड पर लिखा जाता है। राजभाषा शाखा की ओर से कर्मचारियों की रुचि के अनुसार हिंदी बातचीत कक्षाएं भी चलाई जा रही हैं।
राजभाषा पखवाड़े के दौरान हिन्दी भाषी व हिन्दीतर भाषी कर्मचारियों के लिए अलग-अलग हिन्दी निबंध, टिप्पणी व आलेखन, हिन्दी वाक् तथा राजभाषा-ज्ञान प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वार्षिक गृह पत्रिका “चेन्नै लहर” का विमोचन किया गया। कर्मचारियों में हिन्दी भाषा के प्रति रूझान को देखते हुए हिन्दी फिल्म का प्रदर्शन किया गया। समापन समारोह के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन पवित्रा ने किया तथा हिन्दी अनुवादक उपेन्द्र कुमार वर्मा ने अतिथि परिचय करवाया। जे. कलैचेल्वी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।