भा.प्रौ.सं. जोधपुर में भारत की सांस्कृतिक विरासत उत्सव – “विरासत-2025 का समापन ”
आईएनएन/जोधपुर, @Infodeaofficial
भा.प्रौ.सं. जोधपुर में सोसाइटी फॉर द प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक, आर्ट्स एंड कल्चर अमंग यूथ (SPICMACAY) के सहयोग से भारत की समृद्ध कलात्मक और सांस्कृतिक विरासत के जीवंत उत्सव, विरासत 2025 का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया । 12 फरवरी से 16 फरवरी 2025 तक आयोजित इस उत्सव में प्रसिद्ध कलाकारों की शानदार प्रस्तुतियों से कला और संगीत प्रेमियों को एक अनूठा अनुभव प्राप्त हुआ।
उत्सव की शुरुआत SPICMACAY के संस्थापक डॉ. किरण सेठ के प्रेरक भाषण से हुई। अपने संबोधन में डॉ. सेठ ने व्यक्तिगत और व्यावसायिक उत्कृष्टता पर शास्त्रीय कला और संगीत के गहन प्रभाव पर जोर दिया, आंतरिक शांति, अनुशासन और सद्भाव को बढ़ावा देने में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला । उनके विचारोत्तेजक शब्द दर्शकों के साथ गहराई से गूंज उठे, जिससे बाद में होने वाले मंत्रमुग्ध कर देने वाले प्रदर्शनों के लिए मंच तैयार हो गया।
प्रसिद्ध कलाकारों की शानदार प्रस्तुति उत्सव के दौरान दर्शकों ने भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के कुछ सबसे प्रतिष्ठित कलाकारों द्वारा मनमोहक प्रस्तुतियाँ देखीं:
पंडित उल्हास कशालकर (हिंदुस्तानी गायन): हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की जटिल बारीकियों को प्रदर्शित करते हुए अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
अरुणा मोहंती (ओडिसी नृत्य): अपनी सुंदर नृत्य कला और भावपूर्ण कहानी के प्रस्तुतिकरण द्वारा दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हुए ओडिसी नृत्य शैली की भव्यता को जीवंत कर दिया ।
विद्वान डी. बालकृष्ण (कर्नाटक वीणा): वीणा पर अपनी निपुणता के माध्यम से कर्नाटक परंपरा की प्रतीभा का सजीव को प्रदर्शित किया ।
उस्ताद एफ. वसीफुद्दीन डागर (ध्रुपद): अपने प्रभावशाली और गुंजायमान ध्रुपद गायन से श्रोताओं को ध्यानस्थ स्थिति में पहुँचा दिया।
उस्ताद शाहिद परवेज़ खान (सितार): सितार वादन में तकनीकी निपुणता और भावनात्मक गहराई का मनमोहक प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम की जीवंतता को बढ़ाते हुए, हमीरा मंगनियार ग्रुप ने राजस्थानी लोक संगीत की एक शानदार प्रस्तुति दी, जिसने दर्शकों को राजस्थान की संगीत परंपराओं की गहराई से अवगत कराया । हिंदुस्तानी और कर्नाटक से लेकर लोक एवं शास्त्रीय नृत्य की विविध शैलियों के मिश्रण ने भारत की सांस्कृतिक विरासत की विशालता को उजागर किया ।
उत्साहपूर्ण भागीदारी और ज़बरदस्त प्रतिक्रिया
विरासत 2025 को आईआईटी जोधपुर समुदाय से उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया मिली, जिसमें छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया और प्रस्तुतियों की सराहना की । संस्थान परिसर के अतिरिक्त जोधपुर से कई शास्त्रीय संगीत और नृत्य कलाओं में रूचि रखने वालों ने उत्सव में भाग लिया, जिससे यह वास्तव में समावेशी और शहर-व्यापी सांस्कृतिक उत्सव बन गया।
भा.प्रौ.सं. जोधपुर के निदेशक प्रो. अविनाश कुमार अग्रवाल ने विरासत 2025 की शानदार सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की । उन्होंने कहा कि “भा.प्रौ.सं. जोधपुर भारत की समृद्ध कलात्मक परंपराओं को बढ़ावा देने और युवाओं को शास्त्रीय विरासत की गहराई एवं सुंदरता से अवगत कराने के लिए प्रतिबद्ध है । हम इस कार्यक्रम को शानदार एवं सफल बनाने के लिए SPICMACAY और सभी कलाकारों के आभारी हैं।”
प्रो. अग्रवाल ने आगे कहा, “यह कार्यक्रम समग्र शिक्षा के प्रति भा.प्रौ.सं. जोधपुर के समर्पण का प्रमाण है, जहाँ सांस्कृतिक समृद्धि तकनीकी और वैज्ञानिक शिक्षा का पूरक है। हमारा मानना है कि भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य के बेहतरीन कलाकारों के साथ वार्तालाप छात्रों को प्रेरित करेगा ।”
आईआईटी जोधपुर ने छात्रों और दर्शकों के बीच सांस्कृतिक प्रशंसा और कलात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने के लिए विरासत 2025 का भव्य समापन हुआ । इस उत्सव ने संगीत, नृत्य और परंपरा के अपने उल्लेखनीय मिश्रण के साथ सभी श्रोताओं एवं दर्शकों पर एक अमिट छाप छोड़ते हुए भविष्य में और भी अधिक भव्यता के भरोसे का वादा किया।