हाइब्रिड टेक्नोलॉजी से बने वाहन पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता को करेंगे कम

आइआइटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी.कामकोटि से विशेष बातचीत

 

Ritesh Ranjan, INN/Chennai, @royret

भारत ही नहीं बल्कि विश्वभर में आने वाले दिनों में आपको इलेक्ट्रिक वाहन और हाइब्रीड वाहन सडक़ों पर देखने को मिलेंगे। इस क्रांति के बाद पेट्रोल और डीजल पर हमारी निर्भरता काम हो जाएगी। यह कहना है आइआइटी मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी कामकोटि का। उन्होने कहा आइआइटी मद्रास ऊर्जा के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के तकनीकों पर काम कर रहा है। इस प्रयोग में हमारे संस्थान के 300 विद्यार्थी और 50 संकाय काम कर रहे है।

लम्बी दूरी के लिए हम हाइब्रिड टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे है। इस हाइब्रिड टेक्नोलॉजी की मदद से हम एक वाहन को विभिन्न प्रकार के ईंधन की मदद से चला सकेंगे। आइआइटी मद्रास अभी ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है जिसमें एक इंजन को पेट्रोल, डीजल और बायोएथनॉल से संचालित किया जा सकेगा और वह इंजन एक जेनेरेटर के रूप में काम करेगा जो वाहन की बैटरी को चार्ज करता रहेगा। इस प्रयोग के सफल होने के बाद ई-वाहन पर लोगों का विश्वास और रुचि दोनों बढ़ेगी।

आइआइटी मद्रास के विद्यार्थियों ने फार्मूला रेसिंग कार “आरएफ23” का किया निर्माण  

आइआइटी मद्रास के विद्यार्थियों की टीम रफ्तार द्वारा फार्मूला रेसिंग कार “आरएफ23” का निर्माण किया है। इसकी डिजाइन, टेस्टिंग और परीक्षण टीम रफ्तार ने की है। “आरएफ23” की विशेषता है कि पिछले वाहन के मुकाबले इलेक्ट्रिक इंजन होने के कारण इसे स्पीड पकडऩे में ज्यादा समय नहीं लगेगा। टीम रफ्तार में करीब 45 विद्यार्थी शामिल है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हमने 4 सेकंड में 0 से 100 एक्सिलरेशन को प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। स्पीड को 150-160 किलोमीटर प्रति घंटा रखने का लक्ष्य रखा है। अबतक हमने जो भी काम किया है वह स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।

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