श्रम कानून संबंधी पाबंदियों को विनियमित करना
आईआईएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों की मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की। श्रम कानून संबंधी पाबंदियों को विनियमित करने से बड़ी संख्या में और ज्यादा रोजगारों का सृजन हो सकता है, जैसा कि अन्य राज्यों से तुलना करने पर राजस्थान में हाल ही में किए गए बदलावों के परिणामस्वरूप देखने को मिला है। आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि वर्ष 2007 से वर्ष 2014 तक राज्यों द्वारा किसी भी प्रमुख श्रम सुधार की दिशा में कदम नहीं उठाया गया है।
वर्ष 2014 में राजस्थान पहला ऐसा राज्य था जिसने प्रमुख अधिनियमों में श्रम सुधारों को लागू किया। इसके बाद अनेक राज्यों ने राजस्थान का अनुसरण किया। विनिर्माण सेक्टर की कंपनियों के श्रम, पूंजी एवं उत्पादकता संबंधी संकेतकों के बीच तुलना करने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि लचीले श्रम कानून औद्योगिक विकास एवं रोजगार सृजन के लिए और अधिक अनुकूल माहौल बनाते हैं।
जो राज्य अपने श्रम कानूनों के मामले में अडि़यल रुख अपना रहे हैं वे सभी मामलों में नुकसान उठा रहे हैं और वे पर्याप्त रोजगार सृजित करने में असमर्थ हैं तथा वे अपने यहां पर्याप्त पूंजी आकर्षित नहीं कर सकते हैं।
श्रम बहुल उद्योगों और ज्यादा लचीले बाजारों की ओर उन्मुख हो चुके राज्यों के संयंत्र उन राज्यों के समकक्ष संयंत्रों की तुलना में औसतन 25.4 प्रतिशत ज्यादा उत्पादक हैं जो अब भी जटिल श्रम कानून को अपना रहे हैं।
महत्वपूर्ण श्रम कानूनों के कारण उत्पन्न आकार आधारित सीमाएं
क्रम संख्या | श्रम अधिनियम | किन-किन प्रतिष्ठानों पर लागू |
1 | हड़ताल, तालाबंदी, छटनी से संबंधित औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947, अध्याय V | 100 या उससे अधिक कामगारों वाले प्रतिष्ठानों पर |
2 | श्रमिक संगठन अधिनियम, 2001- श्रम संगठनों का पंजीकरण | 10 प्रतिशत अथवा 100 कामगारों, इसमें से जो भी कम हो, की सदस्यता वाले प्रतिष्ठान |
3 | औद्योगिक रोजगार (स्थायी आदेश) अधिनियम, 1946 | 100 या उससे अधिक कामगारों वाले प्रतिष्ठान |
4 | फैक्टरी अधिनियम, 1948 | 10 या उससे अधिक कामगारों वाले विद्युत सुविधा युक्त प्रतिष्ठान और 20 या उससे अधिक कामगारों वाले बिना विद्युत सुविधा के प्रतिष्ठान |
5 | अनुबंध श्रम (नियमन एवं उन्मूलन) अधिनियम, 1970 | अनुबंधित श्रमिकों के रूप में कार्यरत 20 या उससे अधिक कामगारों वाले प्रतिष्ठान |
6 | न्यूनतम पारिश्रमिक अधिनियम, 1948 | राज्य में 1000 से अधिक कामगारों वाली अनुसूची में रोजगार |
7 | कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 – ईएसआई योजना | 10 या उससे अधिक कामगारों एवं कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठान जिनका मासिक पारिश्रमिक 21000 रुपये से अधिक न हो |
8 | कर्मचारी भविष्य निधि एवं विविध प्रावधान अधिनियम, 1952 | 20 या उससे अधिक कामगारों वाले प्रतिष्ठान |