दर्शिता चौबे /आईएनएन/नई दिल्ली @Infodeaofficial
“ बलात्कार की वजह लड़का नहीं , लड़की होती है | ”
यह कथन सुनने के बाद हर कोई स्तब्ध रह जाता है | लगातार बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं से हम सभी परिचित हैं | कभी इसके पीछे सरकार को ज़िम्मेदार बताया जाता है तो कभी समाज को | पर क्या कभी आपने अपराधी को ये कहते सुना है कि पीड़िता ही अपराध की जड़ है ? आखिर बलात्कार जैसा जघन्य अपराध करने के पीछे मुजरिमों की क्या मानसिकता होती है ? अपनी इसी डॉक्टोरल थीसिस रीसर्च को आगे बढाने के लिए अंजिला रस्किन यूनिवर्सिटी की छात्रा मधुमिता पाण्डेय ने तिहार जेल में सजा काट रहे सौ बलात्कारियों का इंटरव्यू लिया | जिसमें यह बात सामने आई की अधिकतर अपराधी बलात्कार को अपराध मानते ही नहीं है , इसके पीछे वो लड़की को ही ज़िम्मेदार ठहराते हैं |
अपनी रीसर्च के दौरान मिस पाण्डेय तिहार जेल में एक ऐसे २३ वर्षीय कैदी से मिलीं जो पिछले पांच साल से पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार करने के जुर्म में सजा काट रहा था | जब मिस पाण्डेय की उस कैदी से मुलाक़ात हुई तब उसने बताया की वो मंदिर की साफ़ सफाई का काम किया करता था | जब वो मंदिर में आराम कर रहा था तब एक बच्ची भीख मांगते हुए उसके पास आ गयी और उसको गलत तरीके से छूने लगी , जिसकी वजह से वो उत्तेजित हो गया और उसने लड़की को सबक सिखाने का फैसला लिया | जब उस अपराधी से पूछा गया की क्या उसको अपने किये पर पछतावा है तब उसने कहा कि हाँ उसने गलत किया, उसने लड़की का जीवन बर्बाद कर दिया और जब वो जेल से बाहार आ जायेगा तब वो उस बच्ची से शादी कर लेगा |
जान कर आश्चर्य होता है कि हमारे समाज में इतनी बीमार मानसिकता वाले लोग रहते हैं | एक पांच वर्ष की बच्ची किसी को बलात्कार करने के लिए कैसे उकसा सकती है ? मिस पाण्डेय ने बताया की यह अपराधी मानते ही नहीं हैं कि उन्होंने कितना जघन्य अपराध किया है | वो खुद को सांत्वना देते हैं जैसे उनके साथ गलत हुआ है | पश्चाताप के नाम पर वो लड़की से शादी करने की बात करते हैं जिनसे उनकी संक्रमित सोच का अनुमान लगाया जा सकता है | बलात्कार का मुख्य कारण है सोच | जिस माहौल और सोच में अपराधी पले-बढे होते हैं वही संकीर्ण सोच उनसे अपराध करवाती है | अधिकतर बलात्कारी महिलाओं को वो वस्तू समझते हैं जो उनकी हवस मिटाने के लिए बनी है |
इस केस को जानने के बाद मिस पाण्डेय ने पीड़िता से मिलने का फैसला किया | जब वह उसके घर पहुँची और उसकी माँ से मिली तब उस महिला ने बताया की उसको पता ही नहीं था की उसकी बेटी का अपराधी जेल में सजा काट रहा है, उसको लगता था वो फरार हो चुका है | अपनी बेटी को न्याय दिलाने का कदम उठाना उस महिला के लिए आसान नहीं था | वह महिला बहुत ही गरीब थी | जब उसने अपनी बेटी के लिए आवाज़ उठाने का फैसला लिया तब उसका पति साथ छोड़ के चला गया | उसने कुछ दिन अस्पताल में अपनी बेटी का इलाज करवाया फिर पैसों की कमी होने की वजह से उसको वापस ले आई | अब वह बच्ची ११ साल की हो चुकी है और अपने अतीत के उस वाकया से अनजान अपना बचपन बिता रही है | मिस पाण्डेय से उस महिला ने पूछा की उसकी बेटी के अपराधी को मौत की सजा क्यों नहीं हुई ? तब मिस पाण्डेय के पास कोई जवाब नहीं था |
किन्तु अब बच्चो के साथ लगातार हो रही दुष्कर्मों की घटनाओं को देखते हुए 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के साथ यौन शोषण करने पर मौत की सजा का प्रावधान लागू हो चुका है |
अपराधियों की अपराध ना मानने की प्रवृति तथा उनकी बीमार सोच को उजागर करती मधुमिता पाण्डेय की यह रीसर्च बहुत जल्द छपने वाली है | आशा है की उनके काम को सराहना मिलेगी और अधिक से अधिक पुरुष उनका ये थीसिस पढेंगे , जिससे वो गलत और सही में अंतर करना सीख सकेंगे |
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