पांच और ट्रेनें बनाने की योजना
आईएनएन/चेन्नई, @Infodeaofficial
तेज रफ्तार वाली ट्रेनों की बात जब भारत में होती है तो शताब्दी और राजधानी एक्सप्रेस का नाम ही पहले आता है। लेकिन अब नई तकनीक और बदलते समय में सबसे तेज रफ्तार की ट्रेन का जिक्र होगा तो ट्रेन-18 जिक्र पहले होगा।
इस ट्रेन की रफ्तार 160 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। इस रपतार से यह शताब्दी और राजधानी के मुकाबले 15 प्रतिशत समय की बचत करेगी। भारतीय रेलवे के इतिहास में ऐसा भी पहली बार हुआ है, जब कोई ट्रेन बिना इंजन के पटरियों पर दौड़ती नजर आएगी। इस ट्रेन का निर्माण मेक इन इंडिया स्कीम के तहत किया गया है।
साथ ही ये ट्रेन अपना पहला सफर दिल्ली से भोपाल के बीच तय करेगी। भारत में विकसित, ऊर्जा बचाने वाली व बिना इंजन की ट्रेन का सोमवार को रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने लोकार्पण किया। हरी झंडी दिखाकर टे्रन का लोकार्पण करने के बाद आईसीएफ के महाप्रबंधक एस. मणि और दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आर.के. कुलश्रेष्ठ सहित अन्य अधिकारियों ने ट्रेन का अवलोकन किया। ट्रेन में मौजूद सभी सुविधाएं और सुरक्षा पर चर्चा की और सभी कोचों का अवलोकन किया।
18 महत्वपूण बातें
1. ट्रेन 18 का निर्माण मेक इन इंडिया के तहत सवारी डिब्बा कारखाना (आईसीएफ) चेन्नई में किया गया है। ट्रेन की खासियत इंजन की जरूरत नहीं होगी।
2. ट्रेन मेट्रो ट्रेनों की तरह इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन पर सेल्फ-प्रोपेल्ड चलेंगी। इंटर सिटी यात्रा को बेहतर बनाने के लिए ट्रेन 18 को उतारा गया।
3. स्टेनलेस स्टील से तैयार ट्रेन 18 में आरामदायक कुर्सियों के साथ-साथ यात्रियों के मनोरंजन के लिए वाईफाई और इनफोटेनमेंट की पूरी सुविधा होगी।
4. पूरी ट्रेन एसी है और इसमें सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं। जीपीएस आधारित पैसेंजर इंफॉर्मेशन सिस्टम ट्रेन में लगाया गया है।
5. इस ट्रेन में अभी 16 चेयर कार वाले कोच हैं। इसमें से दो एग्जिीक्यूटिव चेयर कार जिसमें 56 यात्री के बैठने की सुविधा है और इसकी कुर्सियां 360 डिग्री तक घूम सकती हैं। समूह में यात्रा करने वालों के लिए सुविधाजनक होगी।
6. वहीं नॉन-एग्जिीक्यूटिव चेयर कार के 14 कोच हैं, जिसमें 78 यात्री आराम से सफर कर सकते हैं। इसमें दिव्यांगों के लिए एक कोच में अलग से व्यवस्था की गई है।
7. हाई-स्पीड ट्रेन में ऑटोमैटिक स्लाइडिंग दरवाजे हैं जो प्लेटफॉर्म के आने पर खुलेंगे। इसके अलावा इसमें टच-फ्र्री बाथरूम फिटिंग वाले जीरो डिस्चार्ज बायो-वैक्यूम टॉयलेट हैं।
8. एक कोच से दूसरे कोच जाने के लिए इस ट्रेन में ज्यादा जगह दी गई है जो ऑटोमैटिक दरवाजों से पहुंचा जा सकता है। ट्रेन में रबर-ऑन-रबर फ्लोरिंग है और ऊर्जा बचाने के लिए एलईडी लाइटिंग लगाई गई है।
9. ट्रेन में यात्री सूचना के लिए एलईडी स्क्रीन और स्पीकर लगाए गए हैं, वहीं सामान रखने वाला रैक आम ट्रेनों के मुकाबले बड़ा बनाया गया है।
10. ट्रेन के दरवाजे केवल प्लैटफॉर्म आने पर ही खुलेंगे जब इसकी स्पीड जीरो किलोमीटर प्रति घंटे पर होगी। वहीं ये चलेगी भी केवल तभी जब सभी दरवाजे सही से बंद हो जाएंगे।
11. हाई स्पीड होने के साथ-साथ इंजन रिवर्सल का न होना भी ट्रेन का काफी समय बचाएगा। ट्रेन सेट जल्द एक्सीलेरेशन और डिक्लेरेशन से भी सफर का काफी समय बचाएंगे।
12. आईसीएफ चेन्नई में ट्रेन के ब्रेकिंग, एसी और बाकी सिस्टम की जांच होगी और कू्र को इसके बारे में जानकारी दी जाएगी। इसके बाद 7 नवंबर को ट्रेन दिल्ली लाई जाएगी।
13. ट्रेन 18 को मुरादाबाद-बरेली सेक्शन पर 150 किलोमीटर प्रति घंटे के स्पीड ट्रायल के लिए लाया जाएगा।
14. 150 किलोमीटर प्रति घंटे रफ्तार के ट्रायल के बाद कोटा और सवाई मधोपुर के बीच ट्रेन का 160 किलोमीट प्रति घंटे की रफ्तार का फाइनल ट्रायल किया जाएगा।
15. ट्रेन 18 अपना पहला सफर दिल्ली से भोपाल के बीच तय करेगी। ये ट्रेन आने वाले समय में राजधानी ट्रेनों की जगह लेंगी जिससे इंटर-सिटी यात्रा आसान हो जाएगी।
16. सवारी डिब्बा कारखाना इन ट्रेन के 6 सेट बनाएगी, जिसमें दो स्लीपर कोच होंगे। ट्रेन के पहले सेट में कुछ चीजें बाहर से आयात की गई हैं।
17. इसमें फ्रांस से सीटें और ब्रेक, जर्मनी से कपलर्स, चेक गणराज्य से डोर सिस्टम, लेकिन आगे के रेक के लिए सभी देश में बनाए जाएंगे।
18. साल 2018 में बनी ट्रेन का नाम ट्रेन 18 रखा गया है। इसी तरह रेलवे इसके अपग्रेड वर्जन पर भी काम कर रही है, ट्रेन 20 जिसे साल 2020 में लॉन्च किया जा सकता है।
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