आईएनएन/चेन्नई@infodeaofficial;
मुझे याद है कि सतीश जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने गया है वहां से बिना मेडल व पदक के लौटा हो। हां एक बार ओलंपिक में उसके हाथ खाली रहे लेकिन उसने कभी भी हौंसला नहीं खोया।
आस्ट्रेलियाइ खिलाड़ी को कॉमन वेल्थ गेम में हराकर स्वर्ण पदक जीतने वाले सतीश कुमार शिवलिंगम के पिता एन. शिवलिंगम का कहना है कि सतीश जब आठवीं कक्षा का छात्र था तब उसके स्कूल के फीजिकल ट्रेनिंग टीचर चाहते हैं कि सतीश वेटलिफ्टिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लें। मैने सतीश को देखा तो लगा कि वह भी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने को इच्छुक है और मैने उसे इसकी ईजाजत दे दी। सतीश को शुरूआती दौर में प्रशिक्षण मैने खुद दिया।
सतीश ने पहले जिला चैंपियनशिप का खिताब जीता और बाद में नेशनल स्कूल चैम्पयनशिप जीता। उसके बाद यह सिलसिला बढ़ता चला गया और उसने जुनियर और सीनीयर टाइटल जीता। सतीश की माता एस. देइवनै ने कहा कि सतीश ने आज उनका ही नहीं पूरे प्रदेश के साथ-साथ देश का नाम भी ऊंचा किया है।
गौरतलब है कि सतीश ने पुरुषों की ७७ किलोग्राम वजन उठाने की श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता है। शिवलिंगम ने बताया कि रोजाना प्रयाश के अलावा हमने उसके दैनिक भोजन का भी काफी ध्यान दिया। रोजाना आधा लिटर दूध, पावभर मीट और दो अंडे उसकी सेहत और चुस्ती का राज है। उन्होंने बताया कि पहले लोग रेलवे व सरकारी नौकरी पाने के लिए वेटलिफ्टिंग करते थे पर अब लोगों की रूचि इसमें बढ़ी है। सतीश के मां-बाप चाहते हैं कि वह अपने बेटे की अब जल्द से जल्द शादी करा देना चाहते हैं।
Leave a Reply