नेशनल हेराल्ड भूमि के सरकारी पट्टे के दुरुपयोग के आरोपों से घिरी कांग्रेस को न्यायालय से फौरी राहत
आईएनएन/नई दिल्ली, @Infodeaofficial
नेशनल हेराल्ड की 5000 करोड़ की संपत्ति हड़पने के आपराधिक मामले में अभियुक्त सोनिया गांधी व राहुल गांधी की कांग्रेस के समाचारपत्र नेशनल हेराल्ड के प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा शर्तों का उल्लंघन कर सरकारी पट्टे की जमीन का दुरुपयोग करने के आरोप में भवन खाली करने के केंद्र सरकार के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय से फौरी राहत मिली।
केन्द्र ने बृहस्पतिवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को मौखिक आश्वासन दिया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की लीज के मामले में 22 नवंबर तक यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी। न्यायमूर्ति सुनील गौड़ ने जब कहा कि वह मामले की सुनवाई किसी और दिन करेंगे और केन्द्र को यथास्थिति बरकरार रखनी चाहिए तो भूमि एवं विकास विभाग की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने उन्हें ऐसा करने का मौखिक आश्वासन दिया। अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 22 नवंबर तय की है।
प्रकाशक ने शहरी विकास मंत्रालय के 30 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देते हुए मंगलवार को अदालत का रुख किया था। इसमें उसके 56 साल पुरानी लीज को खत्म करते हुए यहां आईटीओ पर प्रेस एरिया में भवन को खाली करने को कहा गया था।
एजेएल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यथास्थिति का अर्थ है कि कब्जा वापस नहीं लिया जाना चाहिए और उस वक्त तक सार्वजनिक परिसर (अवैध कब्जाधारियों से मुक्ति), अधिनियम, 1971 के तहत कोई कार्रवाई भी नहीं होनी चाहिए।
इस पर अदालत ने कहा कि ‘‘हां, ऐसा ही’’ और साथ ही कहा कि ‘‘ऐसे में जबकि मामला अदालत में है, उन्हें अदालत को इतना सम्मान तो देना ही चाहिए।’’
मामले पर 13 नवंबर को सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा था कि याचिका में आपात स्थिति जैसी कोई बात नहीं है और वह 15 नवंबर को सुनवाई करेगी क्योंकि उसे अभी तक मुकदमे से जुड़ी फाइल नहीं मिली है।
केंद्र सरकार के वकील राजेश गोगना ने कहा कि वे प्रक्रिया शुरू कर रहे हैं और अगर एजेएल ने परिसर का कब्जा उन्हें नहीं सौंपा तो वे उसमे दोबारा प्रवेश कर लेंगे।
बता दें कि शहरी विकास मंत्रालय ने नेशनल हेराल्ड को प्रकाशित करने वाली कंपनी एसोसिएट जर्नल को नोटिस जारी कर नियमों के उल्लघंन के लिए हेराल्ड हाउस को 15 नवंबर तक खाली करने के लिए कहा है। इससे पहले इस इमारत को खाली करने के लिए एजेएल को नोटिस जारी किया गया था। लेकिन विभाग को इस मामले में नेशनल हेराल्ड की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला जिसके बाद अक्टूबर में विभाग ने आखिरी कार्रवाई करते हुए इसे खाली करने के आदेश दे दिए थे।
क्या है हेराल्ड मामला
एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसे 90 करोड़ का लोन दे दिया। इसके बाद 5 लाख रुपये से यंग इंडियन कंपनी बनाई गई। इस कंपनी में सोनिया गांधी और राहुल की 38-38 फीसदी व 24 फीसदी हिस्सेदारी कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीज के पास थी। इसके बाद 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर ‘यंग इंडियन ‘ को दे दिए गए और इसके बदले यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। 9 करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को इस कंपनी के 99 फीसदी शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने इस लोन को माफ कर दिया। इस हिसाब से यंग इंडिया को एसोसिएट्स जर्नल्स लिमिटेड का मालिकाना हक मिल गया। भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी 2012 में इस मामले को कोर्ट में ले गए। 26 जून 2014 को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी के अलावा मोतीलाल वोरा, सुमन दूबे और सैम पित्रोदा को समन जारी कर पेश होने को कहा। तब से यह मामला कोर्ट में चल रहा है।
गौरतलब है कि हेराल्ड हाऊस का आवंटन राजधानी दिल्ली के आईटीओ स्थित प्रेस एंक्लेव में जिस उद्देश्य के लिए किया गया था, उसके लिए उसका उपयोग नहीं किया जा रहा है। दरअसल, वहां समाचार पत्र प्रकाशित करने के लिए इसका आवंटन किया गया था, लेकिन पिछले 10 सालों से ऐसा नहीं किया जा रहा है। इसमें आवंटन नियमों का उल्लंघन किया गया है। 1937-38 में जवाहरलाल नेहरू ने ‘नेशनल हेराल्ड’ नाम से एक अखबार निकालने का विचार किया और इसके लिए उन्होंने देश के कई शहरों में सरकार से रियायती दर पर जमीन ले ली। इनमें लखनऊ, दिल्ली, मुम्बई, भोपाल, इन्दौर, पटना, पंचकुला जैसे शहर शामिल हैं। इस अखबार का पहला संस्करण 9 सितम्बर, 1938 को लखनऊ से प्रकाशित हुआ था और इसके प्रथम सम्पादक थे जवाहरलाल नेहरू। इसके कुछ वर्ष बाद दिल्ली संस्करण भी निकला। मजे की बात है कि लखनऊ और दिल्ली संस्करणों के अलावा और कहीं से भी नेशनल हेराल्ड का संस्करण नहीं निकला। आरोप है कि सरकारी भूमि का आवंटन कराकर इसका व्यवसायिक उपयोग करते हुए प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से ‘ गांधी परिवार’ को लाभ दिया जा रहा है। नेशनल हेराल्ड को हिन्दी में ‘नवजीवन’ और उर्दू में ‘कौमी आवाज’ के नाम से निकाला जाता था। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं राज्यसभा सांसद डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी का आरोप है कि नेशनल हेराल्ड की सम्पत्ति को कब्जाने के लिए ही यंग इंडिया कंपनी का गठन किया गया था।